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Monday 5 December 2016

महाबली बनने की राह पर महंत गौरव शर्मा Mahabali Gaurav Sharma

आम तौर पर किसी मंदिर के महंत की कल्पना से लोगो के जेहन में पूजा पाठ में लीन एक सात्विक इंसान की छवि जेहन में आएगी लेकिन दिल्ली के चांदनी चौक के हनुमान मंदिर के महंत गौरव शर्मा को अगर आपने बुराड़ी के एक ग्राउंड में अपनी ताकत से चार पांच गाड़ियों को एक साथ खींचते देखा तो अनायास ही आप कह उठेंगे ये महंत हैं या महाबली । जी हाँ पिछले सात पीढ़ी से हनुमान मंदिर के  महंत 29 वर्षीय गौरव शर्मा की तमन्ना  दुनिया के सबसे ताकतवर इंसान बनने की है और वे इसके लिए जी तोड़ मेहनत भी कर रहे हैं । अपने हिस्से में ढेर सारी उपलब्धि को समेटे गौरव शर्मा ने इसी साल  140 किलो प्लस वजन वर्ग में पहला स्थान प्राप्त कर विश्व् पॉवरलिफ्टिंग प्रतियोगिता के लिए क्वालिफाय किया  था । अपने चयन को सार्थक करते हुए गौरव शर्मा ने इंग्लैंड में  तीन गोल्ड मैडल जीत कर देश का नाम रोशन किया । अब गौरव की नज़र विश्व के ताकतवर इंसान की कुर्सी पर है । इस प्रतियोगिता को जीतने के लिए उन्हें कई कठिन राउंड से गुजरना होगा । चरणबद्ध तरीके से पहले एक कंटेनर को लंबी दूर तक खींचना पड़ता है फिर 200 किलो वजन के पेड़ को कंधे पर लादकर भागना होता है और फिर वजनी टायर को दूर तक फेंकना होता है । गजब का आत्मविश्वास वाले गौरव की अदम्य इच्छाशक्ति से यह मुश्किल काम असंभव प्रतीत नहीं होता क्योंकि बचपन से ही कई हादसों के वावजूद उन्होंने पॉवरलिफ्टिंग में अपना एक मुकाम हासिल किया है ।
आज के महाबली गौरव जब दस साल के थे तभी वे अपने घर की चौथी मंजिल से गिर गए थे जिसके कारण ढाई साल तक वे बिस्तर पर थे । बचपन से ही ताकतवर बनने की चाहत रखने वाले गौरव इस हादसे से विचलित नहीं हुए और वे आगे बढ़ते गए । युवावस्था में एक बार फिर उनकी किस्मत दगा दे गई । 2011 में वे एक दुर्घटना के शिकार हो गए जिसके कारण उनका बाया पैर फैक्चर हो गया । डॉक्टर ने उनके घुटने में बेल्ट लगा दिया और पॉवरलिफ्टिंग छोड़ने की सलाह दे दी । चार साल तक गौरव  विश्व पॉवरलिफ्टिंग में गोल्ड मैडल जीतने के अपने सपने को पूरा करने के लिए कुछ भी नहीं कर पाये । 2015 में उन्होंने नए सिरे से तैयारी शुरू की और 2016 में उनका सपना तीन गोल्ड मैडल के साथ साकार हुआ । इस उपलब्धि ने गौरब को मानसिक रूप से काफी मजबूत कर दिया है इसीलिए अब दुगुने उत्साह के साथ महाबली बनने की राह में आगे बढ़ रहे हैं । अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरु द्रोणाचार्य भूपेंद्र धवन और माता पिता को देने वाले गौरव बताते हैं सपना तभी साकार होता है जब मेहनत के घंटे ना गिने जाए । बहरहाल गौरव अपने सपने को साकार करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहे हैं और उनकी मेहनत को देखकर लगता है जल्द ही गौरव शर्मा को पूरी दुनिया महाबली गौरव शर्मा के रूप में जानेगी ।
उदय भगत


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