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Tuesday, 18 July 2017

हरफनमौला सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन RaviKishan Birthday Special

इतिहास एक दिन में नही रचा जाता बल्कि उसकी रूपरेखा बरसो पहले तैयार हो जाती है । इतिहास गवाह है हर सफलता की नींव काफी पहले रख दी जाती है । कुछ ऐसा ही है अभिनेता रवि किशन के साथ । 17 जुलाई को उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के केराकत तहलीस के छोटे से गांव वराई विसुई में पंडित श्याम नारायण शुक्ला व श्रीमती जड़ावती देवी के घर बरसो पहले आज ही के दिन यानि 17 जुलाई को एक किलकारी गूंजी जिनकी गूंज आज दुनिया के कोने कोने में हर क्षेत्र में सुनाई दे रही है । 17 जुलाई को जन्मे बालक रविन्द्र नाथ शुक्ला आज का रवि किशन है जिनकी उपलब्धि को कुछ शब्दों में या कुछ पन्नो में समेटा नही जा सकता
प्रारंभिक अवस्था 
रवि किशन को अभिनय का  शौक कब हुआ उन्हें खुद याद नही है पर रेडियो में गाने की आवाज इनके पैर को थिरकने पर मजबूर कर देती थी । कहीं भी शादी हो अगर बैंड की आवाज उनके कानों में गई तो वो खुद को कंट्रोल नही कर पाते थे ।
 यही वजह है जब नवरात्र की शुरुआत हुई तो उन्होंने पहली बार अभिनय की ओर कदम रखा । गांव के रामलीला में उन्होंने माता सीता की भूमिका से अभिनय की शुरुआत हुई । उनके पिताजी पंडित श्यामनारायण शुक्ला को यह कतई पसंद नही था कि उनके बेटे को लोग नचनिया गवैया कहे , इसीलिए मार भी खानी पड़ी । पर बालक रविन्द्र के सपनो पर इसका कोई असर नही पड़ा । माँ ने  रविन्द्र के सपनो को पूरा करने का फैसला किया और कुछ पैसे दिए और इस तरह अपने सपनो को साकार करने के लिए रविन्द्र नाथ शुक्ला मुम्बई पहुच गए ।
मुम्बई में संघर्ष का दौर 
माँ मुम्बा देवी की नगरी काफी इम्तिहान लेती है । गांव का रविन्द्र नाथ शुक्ला यहां आकर रवि किशन तो बन गया पर मंज़िल आसान नही थी । संघर्ष के लिए पैसों की जरूरत थी इसिलिये उन्होंने सुबह सुबह पेपर बांटना शुरू कर दिया । आज जिस जिस अखबार में उनके बड़े बड़े फ़ोटो छपते हैं कभी उन्ही अखबारों को सुबह सुबह वह घर पहुचाया करते थे । यही नही पेपर बेचने के अलावा उन्होंने वीडियो कैसेट किराया पर देने का काम भी शुरू कर दिया । इन सबके बीच बांद्रा में उन्होंने पढ़ाई भी जारी रखी ।
रंग लाई किस्मत 
कहते हैं परिश्रम कभी व्यर्थ नही जाती है । रवि किशन की मेहनत रंग लाई और उन्हें काम मिलना शुरु हो गया ।  पर जिस नाम और पहचान की तलाश में वे आये थे उसकी खोज जारी रही । इस दौरान उनके जीवन मे उनकी धर्मपत्नी प्रीति किशन का आगमन हुआ । उनकी किस्मत से रवि किशन के मेहनत के गठजोड़ ने रवि किशन को लोकप्रियता देनी शुरू कर दी और जब उनकी बेटी रीवा उनके जीवन मे आई तो काम और नाम दोनों में काफी इजाफा होना शुरू हुआ । उसी दौरान कई हिंदी फिल्मों का निर्माण कर चुके निर्देशक मोहनजी प्रसाद ने भोजपुरी फ़िल्म निर्माण करने का फैसला किया और  रवि किशन को अपनी पहली फ़िल्म सैयां हमार में बतौर हीरो लांच किया । इस  फ़िल्म ने ना सिर्फ बरसो से शांत पड़ी भोजपुरी फ़िल्म जगत को जिंदा किया बल्कि इसके साथ ही उदय हुआ भोजपुरी के नए सुपर स्टार रवि किशन का । इस फ़िल्म के बाद रवि किशन ने पीछे मुड़ कर नही देखा । आज वे 200 से भी अधिक भोजपुरी फिल्मो में अभिनय कर चुके है और देश दुनिया मे भोजपुरी के फेस बनकर उभरे हैं ।
आज का दौर 
आज रवि किशन फ़िल्म जगत के एकमात्र ऐसे अभिनेता हैं जो एक साथ कई भाषा की फिल्मो में अभिनय कर रहे हैं । आज उनकी लोकप्रियता ना सिर्फ भोजपुरी और हिंदी भाषी दर्शको के बीच है बल्कि दक्षिण भारत के दर्शको में भी वे उसी तरह लोकप्रिय हैं  और यही वजह है कि दुनिया के कोने कोने में उनके लाखो करोड़ो चाहने वाले हैं ।
                                                                                                         उदय भगत

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