गुरुवार का दिन जिस दिन सभी चैनलों की साप्ताहिक टी आर पी और जी आर पी आती है , उस दिन सुबह सुबह बड़ी घटना घटी । न्यूज़ चैनल के नए बादशाह आर भारत की स्टिंग के आधार पर राहुल गांधी के सहयोगी और बाल्मीकि समाज के स्वयंभु नेता श्योराज जीवन को पुलिस ने पूछ ताछ के लिए बुलाया । जीवन ने खुफिया कैमरे के सामने हाथरस कांड के बहाने देश को दंगे की चपेट में भेजने की भरपूर प्लानिंग का राज बयान कर दिया था । आर भारत के इस स्टिंग से टीम राहुल और टीम प्रियंका बैक फुट पर आ गई थी और आर भारत अपने चैनल पर इसे भुनाने में कोई कसर छोड़ नही रहा था । सुशान्त मुद्दे पर रिया का इंटरव्यू करके अपनी बरसो की बादशाहत गंवा चुकी आज तक पहले से ही सकते में थी , हाथरस कांड से टी आर पी अर्जित करने के लिए देश ने आज तक की एंकर चित्रा त्रिपाठी की मेहनत को देखा था , हालांकि आम लोगो ने चित्रा को उनकी हरकतों के लिए काफी ट्रोल किया था । सोशल मीडिया पर उनके पोस्ट के नीचे गालियों की बौछार की गई और आम आदमी पार्टी के विधायक कुलदीप कुमार से नजदीकी बाइट लेने के कारण कोरोना की चपेट में आई चित्रा ने खुद को कोरण्टाइन कर लिया यानि कुछ दिन अपने चैनल की करतूत की वजह से गालियों से दूर रहने की वजह उन्हें मिल गई । खैर , दोपहर होते होते आर भारत ने आज तक और ए बी पी न्यूज़ द्वारा तैयार की गई जमीन पर इतने चौके छक्के मारे की सारे चैनल की बुनियाद हिल गई । अचानक से मुम्बई पुलिस ने आनन फानन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर कहा कि आर भारत और दो अन्य चैनल ने टी आर पी खरीदी है । कुछ गिरफ्तारियां हुई , आर भारत को नोटिस भेजने की बात हुई और सोशल मीडिया दो भागों में बंट गया । दिलचस्प बात तो यह है कि यहां भी वाम्पन्धी और तथाकथित सेक्युलर रिपब्लिक के विरोध में तलवार भांजते दिखे । दूसरी ओर , राष्ट्रवादी लोग असमंजस में दिखे लेकिन उनको मौका मिल ही गया , या कहे तो रिपब्लिक के हेड अर्नब गोस्वामी के आग उगलने से राष्ट्रवादियों को राहत मिली । हमेशा की तरह , अर्नब ने कुछ घंटे में ही सभी की मिट्टी पलीद कर दी और मुम्बई पुलिस को ही बैक फुट पर ला दिया । अर्नब ने बार्क के एफ आई आर की कॉपी के हवाले से पासा ही पलट दिया क्योंकि उसने अपनी शिकायत में रिपब्लिक का नही इंडिया टुडे समूह का नाम लिया था जो आज तक हेडलाइन्स टुडे जैसे चैनल चलाता है । दोपहर बाद से देर शाम तक सारे चैनल इसी टी आर पी के टोटके से जूझते रहे । अब अहम सवाल है कि मुम्बई पुलिस के आरोप में कितनी सच्चाई और कितना दम है । इस बात पर चर्चा से पहले हमें थोड़ा पीछे जाना होगा । पालघर में तीन साधुओं की पीट पीट कर हत्या के मामले में सबसे तेज आवाज अर्नब गोस्वामी की थी । दिल्ली के बाटला हाउस में तीन जेहादी आतंकवादी के मारे जाने पर फूट फूट कर रोने वाली सोनिया गांधी की तीन निर्दोष साधुओं की हत्या पर चुप्पी और कॉंग्रेस समर्थक उद्धव सरकार द्वारा मामले पर मामूली संज्ञान से आहत अर्नब ने सोनिया गांधी पर सवाल उठाए , नतीजा उन्हें मुम्बई पुलिस ने आठ घंटे तक पूछ ताछ की । फिर आया सुशान्त सिंह का मामला , यहां भी अर्नब ने मुम्बई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार की नींद हराम कर दी , यही नही शिवसेना के नेता संजय राउत की तो रातों की नींद अर्नब ने चुरा ली । इस बीच अचानक से रिपब्लिक भारत ने टी आर पी में सबको पीछे छोड़ दिया । आजतक जो दो दशक से नंबर 1 थी वो काफी पिछड़ गई । अर्नब और उनकी टीम का महाराष्ट्र सरकार और मुम्बई पुलिस पर हमला रुका नही था । गुरुवार यानि कल अचानक से मुम्बई पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अर्नब गोस्वामी को घेरने का प्रयास किया लेकिन यहां भी वे असफल ही दिख रहे हैं । मुम्बई जैसे महंगे शहर में जहां बिजली का प्रति यूनिट चार्ज भी अन्य शहर से अधिक है , कोई परिवार मात्र 400 या 500 के लिए अपना टी वी सेट क्यों आँन रखेगा ? वो भी सिर्फ एक चैनल के लिए ? मुम्बई पुलिस की यह थ्योरी बचकाना लगती है । जिस शहर में भिखारी भी रोज़ का 500 कमाता हो और अधिकांश आबादी शराब के साथ रोज़ 50 रुपये का नमकीन खा जाता हो वो 500 के लिए 600 की बिजली का बिल देगा ? खैर, ये तो जांच का विषय है लेकिन इस पूरे मामले में कई बिंदु सामने आ गए हैं । क्या राहुल गांधी की टीम के बाल्मीकि नेता जीवन की खबर से भटकाने के लिए कॉंग्रेस के दबाब पर उद्धव सरकार ने मुम्बई पुलिस को आगे खड़ा किया ? जब एफ आई आर में आज तक का नाम है तो पुलिस ने रिपब्लिक को क्यों निशाना बनाया ? बाकी के दो चैनल का नाम मुम्बई पुलिस ने पत्रकारों को क्यों नही बताया ?मुम्बई पुलिस के खुलासे के बाद जिस तरह कई टीवी चैनल ने रिपब्लिक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया उस से उनकी पिछड़ने की हताशा साफ दिख रही थी । बहरहाल , मुम्बई पुलिस ने रिपब्लिक को एक बार फिर से नंबर 1 बनाने का रास्ता दे दिया है क्योंकि आज तक के पोस्ट पर , दूसरे चैनलों के पोस्ट पर जिस तरह रिपब्लिक के समर्थन में लोग एक जुट दिख रहे हैं उसे देखकर अंदाज़ लगाना या कहना गलत नहीं होगा कि मुम्बई पुलिस ने टी आर पी के टोटके में देश को उलझा कर एक बार फिर आ बैल मुझे मार वाली कहावत को चरितार्थ कर दिया है ।
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