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Saturday 12 November 2016

जूनून और चाहत से मिलती है मंजिल - पाखी हेगड़े

भोजपुरी के तीसरे दौर की अभिनेत्रियों की बात करें तो सबसे ग्लैमरस , खूबसूरत अभिनेत्रियों की अग्रीम पंक्ति में जिस अभिनेत्री का नाम आता हैं उनमे से एक हैं पाखी हेगड़े।  पाखी हेगड़े ना सिर्फ एक आम अभिनेत्री  हैं बल्कि भोजपुरी फिल्मो को लेकर उनकी सक्रियता उन्हें आम अभिनेत्रियों से अलग करती है।  सेलिब्रेटी क्रिकेट लीग में आज भोजपुरी की टीम अपना जलवा बिखेर रही है तो उसका सर्वाधिक श्रेय उन्हें ही जाता है।  पाखी हेगड़े ने हाल ही में अपनी नयी पारी की शुरुआत की है।  उन्होंने दीपावली के अवसर पर अपनी फिल्म निर्माण ,  फायनेंस कंपनी की घोषणा की ही  है , साथ ही उन्होंने रियल स्टेट में भी कदम रख दिया है।  पाखी हेगड़े से उनके फ़िल्मी सफर और आगामी योजना पर उदय भगत ने विस्तृत बातचीत की।  प्रस्तुत हैं कुछ अंश - 
एक मध्यमवर्गीय दक्षिण भारतीय  परिवार की लड़की का एक अभिनेत्री बनना फिर व्यवसाय की ओर कदम बढ़ाना , कैसे मुमकिन हुआ ये सब ?
सोच , जूनून और काम के प्रति लगन हो और साथ में हिम्मत हो तो दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है । एक आम मध्यमवर्गीय लड़की जल्दी टूट जाती है और हालात से समझौता कर खुद को हालात के अनुरूप ढाल लेती है जिसके कारण उनके सपने टूट जाते है लेकिन जो हिम्मत दिखाए , काम करने का जूनून हो उनके अंदर तो देर से ही सही उन्हें मंजिल मिल जाती है । मैंने खुद काफी कुछ सहा है , जिंदगी को नजदीक से देखा है । दूरदर्शन के एक धारावाहिक से शुरू किया खुद को जल्द ही पहली भोजपुरी फ़िल्म बैरी पिया मिली । इसके तुरत बाद बड़ी कंपनी कोटिलो फिल्म्स की भोजपुरी फ़िल्म सैंया से सोलह सिंगार में रवि किशन के साथ काम करने का मौक़ा मिला लेकिन निरहुआ रिक्शावाला से मुझे रातो रात ख्याति मिल गयी । आप कह सकते हैं मंजिल का रास्ता काफी मेहनत के बाद मुझे दिखना शुरु हुआ ।
फ़िल्म निर्माण में उतरने के बाद क्या अभिनय नहीं करेंगे ?
ऐसा नहीं है । अभिनय से कभी नाता नहीं टूटेगा पर अब किरदार बेस फिल्में ही करूंगी जिसकी कहानी अच्छी हो , मेरा किरदार कुछ हटके हो । सौ के आसपास विभिन्न भाषाओं की फ़िल्म करने के बाद भी अगर अच्छे किरदार वाली फ़िल्म ना करूँ तो मेरे साथ खुद की की गई नाइंसाफी होगी ।
फ़िल्म मेकिंग और फायनेंस क्या सिर्फ भोजपुरी फिल्मो के लिए है ?
भोजपुरी शुरू से मेरी प्राथमिकता रही है और इस से लगाव भी रहा है क्योंकि मेरी पहचान मुझे भोजपुरी से ही मिली है इसीलिए यह लगाव आगे भी बरक़रार रहेगा । रही बात निर्माण और फायनेंस की तो क्षेत्रीय भाषाओँ के अलावा हिंदी में भी कदम बढ़ाने की योजना है । बंद पडी अच्छी फिल्मो को फायनेंस के साथ साथ पोस्ट प्रोडक्शन का काम उपलब्ध कराने के लिए एक डबिंग स्टूडियो भी शुरू किया है । मेरा मकसद होगा अच्छी फिल्मो को रिलीज़ की राह पर आगे बढ़ाना  और फिल्मो की गुणवत्ता पर ख़ास ध्यान देना ।
नए कलाकारों के लिए कोई सन्देश ?
मेहनत कभी बेकार नहीं जाता पर दिशा सही हो , दिल में जूनून हो । जो हिम्मत हारते हैं मंजिल की राह उनसे दूर हो जाती है । क्षमता हर किसी में होती है बस उसे निखारने की जरुरत है ।

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